जैसा कि हम जानते हैं, भारतीय समाज हमेशा से ही खेती पर निर्भर रहा है। हमारे देश की 70 प्रतिशत आबादी कृषि से जुड़ी हुई है। लोग अपनी जलवायु परिस्थितियों के अनुसार अलग-अलग मौसमों में अलग-अलग फसलें उगाते हैं।
जलवायु परिवर्तन के कारण जलवायु पैटर्न बहुत तेजी से बदल रहा है। भारत एक ऐसा देश है जो अपनी कृषि गतिविधियों के लिए मुख्य रूप से मानसून पर निर्भर है।
पॉलीहाउस खेती भारतीय समाज हमेशा से कृषि पर निर्भर रहा है। हमारी 70% आबादी पूरी तरह से अपने निर्वाह के लिए कृषि पर निर्भरती को अधिक लाभदायक, लागत प्रभावी और पर्यावरण के अनुकूल बनाने की दिशा में एक कदम है। आगे इस लेख में, हम पॉलीहाउस खेती के लाभों को देखेंगे।
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यह ज्ञानवर्धक तरीका किसानों को कई लाभ निकालने में सहायता करता है। आजकल लोग पॉलीहाउस खेती में गहरी दिलचस्पी दिखा रहे हैं। क्योंकि यह ज्यादा लाभदायक है, और पारंपरिक खुली खेती की तुलना में इसके जोखिम बहुत कम हैं।
साथ ही, यह एक ऐसी विधि है, जिसमें किसान पूरे वर्ष फसल उगाते रह सकते हैं। आपकी जानकारी के लिए बतादें कि केंद्र और राज्य सरकारें अपने-अपने स्तर से पोलीहॉउस खेती के लिए सब्सिड़ी प्रदान कर सकते हैं।
पॉलीहाउस के अंदर कीट, कीड़ों और बीमारियों के फैलने की संभावना काफी कम होती है, जिससे फसलों को नुकसान से बचाया जा सकता है। इसलिए पॉलीहाउस तकनीक बाधाओं से लड़ने में काफी प्रभावी है।